पूरे देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयास हो रहे थे.
आप देश के प्रधानमंत्री हैं. तथ्यों से खिलवाड़ मत कीजिए. जब-जब लगता है कि प्रधानमंत्री, देश के प्रधानमंत्री की तरह एक विशाल ह्रदय के साथ देश के प्रधानमंत्री की तरह व्यवहार करेंगे. तब-तब हमें निराशा हाथ लगती है.वहीं एक अन्य प्रश्न के जवाब में मनोज कुमार झा ने बोला कि धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हमारे आर्टिकल 44 में रखा गया क्योंकि उस वक्त के जो हालात थे, उन हालातों के मद्देनजर एक ट्रस्ट की कमी थी. प्रधानमंत्री तथ्यों को संकीर्ण दायरे में देखते हैं आर्टिकल 44 इंफॉर्म सिविल कोर्ट लेकिन उससे पहले आर्टिकल 39 में कॉन्सन्ट्रेशन ऑफ वेल्थ आया.प्रधानमंत्री उसपर क्यों चुप होते हैं. क्यों इसलिए कि उद्योपत्तियों की आपकी सरकार बनवाने और दूसरों की सरकार गिरवाने में बहुत बड़ी भूमिका है. अगर आर्टिकल 44 तक पहुंचना चाहते हैं तो आर्टिकल 39 तो रास्ते में पड़ता है प्रधानमंत्री को उसे गौर से देखना चाहिए कि वो बोलता क्या है आय के भयावह असमानता है उसपर एक नजर होनी चाहिए.