साल 2013 में आई फिल्म आशिकी 2 का गाना ‘सुन रहा है ना तू, रो रहा हूं मैं…’ काफी फेमस हुआ था. मौजूदा समय में देश की इकोनॉमी की हालत भी कुछ ऐसी ही हो गई है. बढ़ते डॉलर के सामने रुपया भी कुछ इसी तरह से रोता हुआ दिखाई दे रहा है.
जिसकी सिसकियां कोई सुनने को तैयार नहीं है. लेकिन रुपए की गिरावट का असर शेयर बाजार में जरूर देखने को मिल रहा है. सोमवार को जहां 40 लाख लोगों ने महाकुंभ के पहले दिन गंगा में डुबकी लगाई. वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार के 20 करोड़ से ज्यादा निवेशकों ने सोमवार ट्रेडिंग सेशन खत्म होने से पहले 13 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा गंवा दिए. वास्तव में निवेशकों की कंगाली का सिलसिला लगातार 4 दिनों से चल रहा है. सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट देखने को मिल चुकी है. जिसकी वजह से शेयर बाजार निवेशकों के 25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा डूब चुके हैं.
गोता सिर्फ महाकुंभ में भक्तों और शेयर बाजार ने ही नहीं लगाया है. डॉलर के मुकाबले में रुपए ने भी बड़ी डुबकी लगाई है. जो सिर्फ पहली बार 86 रुपए के पार ही नहीं गया, बल्कि 87 रुपए के करीब भी पहुंच गया. यही वजह है कि शेयर बाजार के निवेशकों को मोटा नुकसान हो रहा है. कच्चे तेल में तेजी और संभावित महंगाई के आंकड़ों को भी शेयर बाजार में गिरावट की वजह माना जा रहा है. आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर बीते 4 दिनों में सेंसेक्स और निफ्टी में कितनी गिरावट देखने को मिल चुकी है और सोमवार को किस तरह के आंकड़े देखने को मिल रहे हैं.
शेयर बाजार में बड़ी गिरावट
सोमवार को शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. आंकड़ों के अनुसार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स कारोबारी सत्र के दौरान 1,129.19 अंकों तक डूब गया और 76,249.72 अंकों के साथ दिन के निचले स्तर पर आ गया. वैसे सेंसेक्स 76,629.90 अंकों के साथ बड़ी गिरावट के साथ ओपन हुआ था और शुक्रवार को 77,378.91 अंकों पर बंद हुआ था.
दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 50 में भी कारोबारी सत्र के दौरान बड़ी गिरावट देखने को मिली. आंकड़ों के अनुसार निफ्टी कारोबारी सत्र के दौरान 384.25 अंकों की गिरावट देखने को मिली और 23,047.25 अंकों के साथ दिनद के लोअर लेवल पर पहुंच गया. वैसे 23,195.40 अंकों के साथ ओपन हुआ था और शुक्रवार को 23,431.50 अंकों पर बंद हुआ था.
किन शेयने को मिरों में देखली कटौती
अगर बात गिरावट वाले शेयरों की बात करें तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर अडानी इंटरप्राइजेज के शेयरों में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. जबकि ट्रेंट के शेयर भी करीब 6 फीसदी तक डूब गए. बीपीसीएल के शेयरों में साड़े 4 फीसदी की गिरावट देखी गई. बीईएल और अडानी पोर्ट के शेयर में 4 फीसदी से गिरावट आई. बीएसई पर जोमाटो के शेयर करीब 7 फीसदी, टाटा स्टीज 3 फीसदी ज्यादा, टाटा मोटर्स, टेक महिंद्रा और महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयरों में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. इसके विपरीत एनएसई पर एक्सिस बैंक, टीसीएस, हिंदुस्तान यूनिलीवर, इंडसइंड बैंक, एचसीएल टेक के शेयरों में एक फीसदी से कम की तेजी देखी गई है.
*शेयर बाजार में गिरावट के कारण*
अमेरिकी में जॉब ग्रोथ : शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में अमेरिकी जॉब ग्रोथ में अप्रत्याशित रूप से तेजी आई, जिससे यूएस 10-साल का बॉन्ड यील्ड 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. इससे 2025 में दरों में कम कटौती की संभावना बढ़ गई, जिससे भारत जैसे उभरते बाजार निवेश के लिए कम आकर्षक हो गए. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वीके विजयकुमार ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि बाजार पर कई मजबूत विपरीत परिस्थितियों का दबाव बना रहेगा.
बॉन्ड यील्ड में इजाफा : मजबूत जॉब डाटा और मजबूत सर्विस सेक्टर के प्रदर्शन के बाद, 10-साल की अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड बढ़कर 4.73% हो गई, जो अप्रैल के बाद से सबसे अधिक है. विश्लेषकों को उम्मीद है कि फेड जनवरी में दरें बरकरार रखेगा, जिससे डॉलर मजबूत होगा और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी होगी.
*एफआईआई की बेरुखी* : विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 2025 में शेयर बाजार से अपना पैसा निकालने की गति को बिल्कुल भी स्लो नहीं किया है. 10 जनवरी, 2025 तक, उन्होंने भारतीय बाजार में 22,259 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची है.
कच्चे तेल की कीमत में इजाफा : सोमवार को तेल की कीमतें तीन महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया. इसका कारण रूसी तेल पर प्रतिबंध है. जिसकी वजह से दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातकों में से एक चीन और भारत को रूसी कच्चे तेल की सप्लाई प्रभावित होगी. ब्रेंट क्रूड वायदा 81.44 डॉलर पर पहुंच गया जो 27 अगस्त के बाद सबसे अधिक है. यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड ने 78.32 डॉलर के हाई को छूआ, जो 8 अक्टूबर के बाद से सबसे ऊंची कीमत है.
रिकॉर्ड लो पर रुपया : डॉलर इंडेक्स लगभग 109.9 पर होने के साथ, कारोबार सत्र के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 65 पैसे टूटकर अब तक के सबसे निचले स्तर 86.60 पर पहुंच गया. जहां एफआईआई के आउटफ्लो से डॉलर की अधिक मांग के कारण रुपए पर दबाव पड़ता है, वहीं कमजोर रुपये से एफआईआई के लिए करेंसी रिस्क बढ़ जाता है, जिससे संभावित रूप से और अधिक आउटफ्लो शुरू हो सकता है.
आर्थिक मंदी : वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी पर भारत सरकार के एडवांस अनुमान ने मंदी की पुष्टि की है. वित्त वर्ष 2025 के लिए रियल जीडीपी की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 के 8.2 फीसदी से धीमी होकर 6.4 फीसदी होने का अनुमान है, जो वित्त मंत्रालय के 6.5 फीसदी के पूर्वानुमान और आरबीआई के 6.6 फीसदी के अनुमान से कम है.
कमाई में गिरावट : लगातार 4 साल से डबल डिजिट की ग्रोथ के बाद भारतीय उद्योग जगत की आय में पिछली 2 तिमाहियों में गिरावट देखी जा रही है. तीसरी तिमाही के आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से बढ़ने की संभावना नहीं है. ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि वित्त वर्ष 2025 की पूरे साल की इनकम में सिंगल डिजिट की ग्रोथ देखने को मिलेगी.
*महंगाई का अनुमान* : इस बीच, निवेशक सोमवार को बाजार बंद होने के बाद आने वाले रिटेल महंगाई के आंकड़ों का भी इंतजार कर रहे हैं. रॉयटर्स पोल के अनुसार, खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के कारण दिसंबर में भारत में महंगाई घटकर 5.3 फीसदी होने की संभावना है. इससे अगले महीने आरबीआई द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीदों को समर्थन मिल सकता है, खासकर तब जब आर्थिक विकास धीमा हो रहा है.
मेंचार दिनों कितना टूटा शेयर बाजार
अगर बीते चार दिनों की बात करें शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल चुकी है. आंकड़ों के अनुसार 7 जनवरी को सेंसक्स 78,199.11 अंकों पर बंद हुआ था. जो कारोबारी सत्र के दौरान 76,249.72 अंकों के साथ दिन के लोअर लेवल पर आ गया. इसका मतलब है कि इन चार दिनों में सेंसेक्स 1,949.39 अंकों यानी 2.5 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल चुकी है.
वहीं दूसरी ओर निफ्टी में इस दौरान बड़ी गिरावट देखने को मिली है. 7 जनवरी को निफ्टी 23,707.90 अंकों पर बंद हुआ था. जो 13 जनवरी को कारोबारी सत्र के दौरान 23,047.25 अंकों तक आ गया. इसका मतलब है कि निफ्टी में 660.65 अंक यानी 2.78 अंकों की गिरावट देखने को मिल चुकी है.
निवेशकों को मोटा नुकसान
वैसे 13 जनवरी को शेयर बाजार में गिरावट की वजह से निवेशकों को मोटा नुकसान हुआ. शेयर बाजार निवेशकों का नुकसान बीएसई के मार्केट कैप से जुड़ा हुआ होता है. आंकड़ों को देखें तो शुक्रवार को बीएसई का मार्केट कैप 4,29,67,835.05 करोड़ रुपए था जो सोमवार को 4,16,62,045.93 करोड़ रुपए के लेवल पर आ गया. इसका मतलब है कि शेयर बाजार निवेशकों को कारोबारी सत्र के दौरा 13 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ. जबकि बीते चार दिनों की बात करें तो 7 जनवरी को बीएसई का मार्केट कैप 4,41,75,150.04 करोड़ रुपए था. इसका मतलब ये हुआ कि इन दिनों में निवेशकों को 25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है.