अब यह काम जुलाई 2026 तक पूरा हो जाएगा.
यह फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि लोगों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े और काम में पारदर्शिता भी हो.अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया का मकसद वास्तविक लोगों को भूमि का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध कराना है, ताकि विवादों को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके. उन्होंने बोला कि सरकार को भूमिहीनों को भूमि देने तथा कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भूमि की जरूरत है.एसीएस दीपक कुमार सिंह ने बोला कि भूमि विवाद के वजह से जो गुनाह होते थे वो कम हुए हैं. उन्होंने बोला कि राज्य के कुल 38 जिलों में से 20 जिलों (5,657 गांवों को कवर करते हुए) में भूमि सर्वेक्षण लगभग अपने अंतिम चरण में है. शेष 18 जिलों (जिसमें 37,384 गाँव शामिल होंगे) में प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी. पहले राज्य में 60 प्रतिशत से अधिक गुनाह मुख्य रूप से भूमि संबंधी विवादों के वजह से होते थे, जो अब घटकर 46.69 प्रतिशत रह गया है. बिहार में अंतिम भूमि सर्वेक्षण 1911 में ब्रिटिश शासन के क्रम में किया गया था.