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बिहार में जमीन सर्वे की समय-सीमा बढ़ी, अब कब तक चलेगा सर्वेक्षण का कार्य? पढ़ें


संवाद 


बिहार में जमीन सर्वे का कार्य जारी है. इसको लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (Revenue and Land Reforms Department) के मंत्री दिलीप जायसवाल (Dilip Jaiswal) और संबंधित अधिकारी अलर्ट हैं कि कैसे सब कुछ अच्छे ढंग से हो जाए. इसी दौरान राज्यव्यापी भूमि सर्वेक्षण कार्य को पूरा करने की समय-सीमा एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है ताकि इस प्रक्रिया के वजह से लोगों को होने वाली असुविधाओं को कम किया जा सके. एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार (30 दिसंबर) को यह खबर दी.राजस्व और भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) दीपक कुमार सिंह ने सोमवार को पटना में संवाददाताओं से बोला कि विभाग ने राज्य भर में भूमि सर्वेक्षण और व्यवस्था को पूरा करने के लिए जुलाई 2025 की समय-सीमा को एक और साल के लिए बढ़ाने का निर्णय किया है. 

अब यह काम जुलाई 2026 तक पूरा हो जाएगा. 

यह फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि लोगों को किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े और काम में पारदर्शिता भी हो.अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया का मकसद वास्तविक लोगों को भूमि का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध कराना है, ताकि विवादों को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके. उन्होंने बोला कि सरकार को भूमिहीनों को भूमि देने तथा कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भूमि की जरूरत है.एसीएस दीपक कुमार सिंह ने बोला कि भूमि विवाद के वजह से जो गुनाह होते थे वो कम हुए हैं. उन्होंने बोला कि राज्य के कुल 38 जिलों में से 20 जिलों (5,657 गांवों को कवर करते हुए) में भूमि सर्वेक्षण लगभग अपने अंतिम चरण में है. शेष 18 जिलों (जिसमें 37,384 गाँव शामिल होंगे) में प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी. पहले राज्य में 60 प्रतिशत से अधिक गुनाह मुख्य रूप से भूमि संबंधी विवादों के वजह से होते थे, जो अब घटकर 46.69 प्रतिशत रह गया है. बिहार में अंतिम भूमि सर्वेक्षण 1911 में ब्रिटिश शासन के क्रम में किया गया था.


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