राबड़ी आवास से बाहर निकल रहे कार्यकर्ताओं ने बोला कि चूड़ा दही हम लोग खाए.
लालू यादव ने निर्देश दिया है कि क्षेत्र में जाकर जमकर मेहनत करिए. इस बार अपनी सरकार आ रही है. तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना है. वहीं कई ऐसे भी कार्यकर्ता हैं, जो तिलकुट और लाई लेकर अंदर जा रहे हैं.बता दें बिहार में सियासी दही-चूड़ा भोज के आयोजन की शुरुआत एक तरह से लालू यादव ने ही 90 के दशक में की थी. तब से उनके यहां कई बार दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया जा चुका है. लालू यादव के यहां दही-चूड़ा भोज के क्रम में कई बार ऐसी पिक्चर देखने को मिली हैं, जिसे बिहार की राजनीति में काफी अहम माना गया. अब इसी वर्ष बिहार विधानसभा चुनाव भी है. ऐसे में सियासी दलों के माध्यम से चूड़ा दही भोज के क्रम में सियासी समीकरणों को सेट करने की कोशिश की जाएगी.बिहार की राजनीति में मकर संक्रांति के मौके पर होने वाले राजनीतिक दही-चूड़ा भोज के बहाने कई बार सियासी खेल हो चुका है. चुनावी वर्ष है. क्या इस बार कोई नया समीकरण बनेगा? इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं. हालांकि राबड़ी आवास के भीतर मीडिया की एंट्री नहीं है.