बिहार में जमीन सर्वेक्षण का कार्य अब 2026 तक बढ़ा दिया गया है। यह निर्णय हाल ही में लिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी गांवों का सर्वेक्षण पूरी तरह से और सटीकता के साथ हो। यह कदम उन जिलों और गांवों को समय देने के लिए उठाया गया है, जहां सर्वेक्षण कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।बिहार में जमीन सर्वेक्षण का यह बड़ा अभियान 2012 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य राज्य के सभी गांवों की भूमि का डिजिटल और सटीक नक्शा तैयार करना है। इस दौरान राज्य के 37,384 गांवों में से 12,093 गांवों का सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया गया है। हालांकि, अभी भी 5657 गांवों में से कई स्थानों पर कार्य अधूरा है, जिसे पूरा करने के लिए एक अतिरिक्त साल का समय दिया गया है।पिछले एक दशक में सर्वेक्षण कार्य में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसमें तकनीकी चुनौतियां, प्रशासनिक बाधाएं, और प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं। इसके बावजूद, इस प्रक्रिया के माध्यम से भूमि का डिजिटलीकरण और कानूनी रिकॉर्ड को अद्यतन करने का प्रयास किया गया है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया कि इस परियोजना को पूरा करने के लिए जुलाई 2026 तक का समय बढ़ाया जाए। इससे पहले, परियोजना को जुलाई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य था। अधिकारियों ने बताया कि सर्वेक्षण का यह विस्तार इसलिए किया गया है ताकि सभी गांवों के रिकॉर्ड को सही तरीके से तैयार किया जा सके और किसी प्रकार की त्रुटि न हो।