उन्हें कमला नाम इसलिए दिया गया क्योंकि ज्योतिष के हिसाब से उनका नाम 'क' से बना और इस वजह से उनके गुरु श्रीनिरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने उन्हें कमला नाम और अपना अच्युत गोत्र दिया। कमला के बारे में बात करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा, ''वह हमारी है, सहज सरल होने के कारण धार्मिक है।
महाकुंभ को ऐसी आस्था और संस्कृतियों का संगम नहीं कहा जाता है। यह वह घटना है जो युगों से घटित हो रही है जो मनुष्य को मनुष्य से जोड़ती है। प्रयागराज में होने जा रहा महाकुंभ-२०२५ इसका सटीक उदाहरण बनने जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की विधवा पत्नी और दुनिया की सबसे धनी महिलाएं लॉरेन पॉवल जॉब्स प्रयागराज के महाकुंभ में आ रही हैं।
अरबपति कारोबारी लॉरेन भी यहां कल्पवास करेंगी और साधुओं के सानिध्य में सादा जीवन व्यतीत करेंगी। आइए जानते हैं कि दिवंगत पति स्टीव की तरह लॉरेन का भी हिंदू और बौद्ध धर्म से खास नाता रहा है और ऐसे धार्मिक सम्मेलनों में अक्सर उनकी मौजूदगी देखी गई है।
स्वामी कैलाशानंद जी महाराज ने जानकारी दी
लॉरेन यहां उससे भी ज्यादा कल्पवास करेंगी, उनका एक हिंदू नाम भी है। मीडिया की बातचीत में आध्यात्मिक गुरु स्वामी कैलासानंद जी महाराज ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि एप्पल के सह संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरिन पॉवेल जॉब्स के प्रयागराज महाकुंभ २०२५ में शामिल होने आ रहे हैं। "उन्होंने कहा", "वह यहां अपने गुरु से मिलने आ रही हैं"। हमने भी उसे उसका गोत्र दिया है और उसका नाम 'कमला' रखा है और वह हमारी बेटी की तरह है। यह दूसरी बार है जब वह भारत आ रही हैं। महाकुंभ सबका स्वागत है।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स यहीं रहेंगी
खबरों के मुताबिक, 61 वर्षीय लॉरेन 13 जनवरी को यहां आएंगी। जुलाई 2020 तक, लॉरेन पॉवेल और उनका परिवार फोर्ब्स की दुनिया के अरबपतियों की वार्षिक सूची में 59वें स्थान पर थे। टाइम्स मैगजीन ने कई बार उन्हें दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया है। महाकुंभ में लॉरेन पॉवेल जॉब्स के ठहरने की व्यवस्था स्पेशल महाराजा डीलक्स कॉटेज में की गई है। वह २९ जनवरी तक निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में रहेंगी और सनातन धर्म को करीब से समझने की कोशिश करेंगी। इसके अलावा वह १९ जनवरी से शुरू होने वाली कहानी की पहली याजमान भी होंगी।
स्टीव जॉब्स भी सनातन परंपरा में विश्वास रखते थे
आइए जानते हैं कि ऐपल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स भी सनातन परंपरा में विश्वास रखते थे और उनके जीवन से जुड़ी कई कहानियां हैं, जिनमें वे भारतीय संतों से प्रभावित रहे हैं। इन संतों में बाब नीम करोली महाराज का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है। १९७४ में स्टीव जॉब्स बाबा नीम करोली के दरबार में आए। वह अपने जीवन का रहस्य जानने के लिए बाबा नीम करोली के आश्रम पहुंचे जो उनके जीवन का सबसे बड़ा सत्य बन गया था। स्टीव जॉब्स इस यात्रा के दौरान करुण धाम में बाबा के नीम करोली के आश्रम में रुके थे। इसके अलावा परमहंस योगानंद द्वारा लिखित पुस्तक ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी’ भी उनके लिए बेहद खास थी। स्टीव जॉब्स ने कई मौकों पर इस किताब को जीवन में बदलाव लाने का जरिया माना।
*मकर संक्रांति पर संगम में डुबकी लगाएंगी ऐपल के संस्थापक की पत्नी लॉरेन जॉब्स*
निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की अगुवाई में सुबह सात बजे के बाद लॉरेन जॉब्स गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाएंगी।
मकर संक्रांति पर संगम में डुबकी लगाएंगी ऐपल के संस्थापक की पत्नी लॉरेन जॉब्स, नहीं करेंगी कल्पवास
ऐपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स महाकुम्भ के पहले अमृत (शाही) स्नान मकर संक्रांति पर मंगलवार को संगम में पुण्य की डुबकी लगाएंगी। निरंजनी अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि की अगुवाई में सुबह सात बजे के बाद वह गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाएंगी। 11 बिलियन डॉलर संपत्ति की मालकिन लॉरीन पॉवेल जॉब्स, जिन्हें गुरु कैलाशानंद गिरि ने कमला नाम दिया है, रविवार को महाकुम्भ क्षेत्र में अपनी टीम के साथ पहुंच गईं।
कैलाशानंद गिरि ने मीडिया से बातचीत में साफ किया कि लॉरेन कल्पवास नहीं करेंगी, उन्हें दीक्षा दी जाएगी। वह चार-पांच दिन मेला क्षेत्र में प्रवास करेंगी क्योंकि उसके बाद उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए लौटना होगा। संगमनगरी में रहकर वह यज्ञ, अभिषेक, पूजन करेंगी। इसके साथ ही अपने गुरु के साथ जाकर सभी अखाड़ों के महंतों से भी मिलेंगी। कैलाशानंद गिरि ने बताया कि कमला (लॉरेन पॉवेल जॉब्स) बहुत ही धार्मिक और शुद्ध शाकाहारी हैं। उन्होंने उसे बेटी माना है और नाम व गोत्र दिया है। वह बहुत ही सरल, उदार, सात्विक और दान करने वाली हैं। उन्हें किसी चीज का अहंकार नहीं है। उन्हें राजसी ठाटबाट पसंद नहीं है और फक्कड़शाही में रहना चाहती है। कैलाशानंद ने गीता पूजन करके रुद्राक्ष की माला भेंट किया है जिसे लॉरेन पहनती हैं।
कैलाशानंद ने स्पष्ट किया कि लॉरेन पॉवेल जॉब्स पारंपरिक रूप से नहीं बल्कि वैचारिक रूप से हिंदू हो गई हैं। वह उन्हें बीज मंत्र देंगे जिसका हर समय जप करेंगी। वो महादेव की सेवा में रहना चाहती है। लॉरेन ने सनातन धर्म के बारे में बहुत पढ़ा-लिखा है। सनातन धर्म के बारे को बहुत अच्छी तरह से देख-समझकर ही उन्होंने कर्मठ साधु से जुड़ने का निर्णय लिया है। कैलाशानंद गिरि ने कहा-मुझे लगता है कि कमला के माध्यम से सनातन धर्म और परंपरा को बल मिलेगा और यश बढ़ेगा।