प्रशांत किशोर ने आगे बोला कि यह आंदोलन बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के विरुद्ध छात्रों के विरोध से शुरू हुआ है. धीरे-धीरे इसमें अन्य छात्र और युवा जुड़ते गए और यह आंदोलन एक व्यापक स्वरूप लेता गया. 25 दिसंबर को छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के बाद आंदोलन में एक नया मोड़ आया. इसके बाद 30 दिसंबर को पुलिस ने ठंड के मौसम में वॉटर कैनन का प्रयोग किया और एक बार फिर लाठीचार्ज किया गया, जिससे प्रदर्शनकारी और आक्रोशित हो गए. उन्होंने बोला कि यह आंदोलन केवल BPSC परीक्षा तक सीमित नहीं है. बल्कि एक बड़ा संघर्ष है जो समाज में व्याप्त अन्याय और भ्रष्टाचार के विरुद्ध युवाओं की एकजुटता का प्रतीक बन चुका है. जन सुराज के संस्थापक ने बताया कि इस आंदोलन को अधिक संगठित और उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए 51 सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया है, जिसे ‘युवा सत्याग्रह समिति’ नाम दिया गया है. प्रशांत किशोर ने अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए बोला कि वे इस आंदोलन का हिस्सा एक युवा बिहारी के रूप में हैं, न कि किसी नेता के रूप में.
उनका कहना है कि आंदोलन का नेतृत्व छात्रों के हाथ में है और वे केवल एक मार्गदर्शक और समर्थक की भूमिका निभा रहे हैं.
उन्होंने बोला कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल का अभियान नहीं है. यह बिहार के युवाओं का आंदोलन है, जो न्याय और पारदर्शिता के लिए खड़ा है. उन्होंने प्रशासन और समाज से अनुरोध की है कि वे छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से लें. प्रशांत किशोर ने यह भी बोला आप भी कभी छात्र रहे होंगे. आपके भी बच्चे हैं. उनकी आकांक्षाओं और सपनों को समझने की कोशिश करें. युवा सत्याग्रह समिति अपनी मांगों में न केवल BPSC परीक्षा की अनियमितताओं की जांच की बात की है, बल्कि व्यापक सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया है.
• BPSC परीक्षा की अनियमितताओं की स्वतंत्र जांच.
• डोमिसाइल नीति का कार्यान्वयन.
• आरोपी अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई.
• यदि छात्र चाहें, तो परीक्षा को दोबारा आयोजित करना. प्रशांत किशोर ने छात्रों की नेतृत्व क्षमता और एकता की प्रशंसा करते हुए इसे लोकतांत्रिक मूल्यों का आदर्श उदाहरण बताया. उन्होंने बोला, “यह लड़ाई अहिंसा और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर आधारित है. उन्होंने बोला कि यह आंदोलन बिहार में युवाओं की शक्ति और उनके संकल्प को दर्शाता है. यह सिर्फ परीक्षा की खामियों को उजागर करने का प्रयत्न नहीं है, बल्कि एक बेहतर और न्यायपूर्ण व्यवस्था की मांग है. प्रशांत किशोर ने इस आंदोलन को किसी भी राजनीतिक दल या विचारधारा से जोड़ने से मना करते हुए बोला कि यह सभी युवाओं और समाज के हित के लिए है. उन्होंने अन्य राजनीतिक नेताओं को भी इस आंदोलन का समर्थन करने का आह्वान किया, चाहे वे राहुल गांधी हों या तेजस्वी यादव. प्रशांत किशोर ने बोला तेजस्वी या राहुल इस आंदोलन का नेतृत्व करें तो वे पीछे हट जाएंगे.वहीं युवा सत्याग्रह समिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक न्याय सुनिश्चित नहीं किया जाता.