आगे उन्होंने बोला कि वीर शहीद सैनिकों के परिजनों के जैसे उन्हें भी सुविधाएं मिलनी चाहिए.
शहीद सैनिकों के परिजनों को बुलाकर नौकरी देने का कार्य किया गया लेकिन क्या दशरथ मांझी वीर शहीद नहीं हुए? उन्हें आम लोगों के लिए पहाड़ को एक छेनी हथौड़ी से काटकर रास्ता बना दिया. उनके परिजनों को भी नौकरी देना चाहिए थी.
मिथुन मांझी ने बोला कि उन्हें भी आम लोगों की तरह प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला, नल-जल योजना के तहत घर में नल लगा, पेंशन (वृद्धा) मिल रही है. परिजनों को सुविधा के नाम पर बीटीएमसी बोधगया का सदस्य बनाया गया है. फिलहाल वह मजदूरी और खेती कर अपने परिवार का जीविकापार्जन कर रहे हैं. सरकार ने नल-जल योजना के पंप सेट पर ऑपरेटर के पद पर रखा था जहां दो सालों से तनख्वाह ही नहीं मिला है. कई बार विभाग में इसकी खबर दी है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. दशरथ मांझी की पोती अंशु कुमारी को आंगनबाड़ी केंद्र में सेविका के पद पर नियुक्त किया गया है. छह हजार रुपये महीना मिलता है.उन्होंने बोला कि सरकार भी कभी-कभी पलटी मार देती है. उसी तरह भागीरथ मांझी ने जब जेडीयू की सदस्यता ली तो वे भी सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. जेडीयू से टिकट नहीं मिला. शायद अब कांग्रेस की तरफ से टिकट देने के लिए बोला गया होगा इसलिए भागीरथ मांझी कांग्रेस में सम्मिलित हुए हैं. मिथुन मांझी ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जताई. उन्होंने बोला कि अगर नीतीश कुमार चाहते हैं कि उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिया जाए तो वे इसके लिए इच्छुक हैं. अगर जेडीयू से टिकट मिलता है तो वे अपने ससुर भागीरथ मांझी के सामने भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं. सियासत में कोई किसी का नहीं होता. अपनी-अपनी पार्टी का बाहुबल दिखाया जाएगा. समाज के विकास के लिए चुनाव लड़ेंगे. मिथुन मांझी ने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी पर परिवारवाद का इल्जाम लगाया. बोला कि मांझी ने जब इमामगंज से विधायकी छोड़कर सांसद का चुनाव लड़े थे तब उन्हें मांझी समाज को इमामगंज से टिकट देना चाहिए था. उन्होंने अपनी बहु को टिकट दिया. समाज के लोगों को मौका नहीं दिया.भागीरथ मांझी की बेटी अंशु कुमारी ने बताया कि जब उन्होंने न्यूज़ में देखा तब उन्हें पिता के कांग्रेस ज्वाइन करने की खबर मिली. उन्होंने राहुल गांधी के समक्ष चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा है. अंशु ने बोला अगर जेडीयू से उन्हें टिकट मिलता है तो वह खुद भी चुनाव लड़ेंगी. क्या बेटी या पिता एक दूसरे के विरुद्ध चुनाव नहीं लड़ सकते? जीतन राम मांझी ने अपनी बहु को विधायक, बेटे को मंत्री बना दिया. समाज के किसी दूसरे लोगो के बारे में तो नहीं सोचा.