उन्होंने बताया कि यदि सही समय पर ऑक्सीजन मिल जाता तो उनकी मां की मृत्यु नहीं होती.
यह पूर्णतः अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का मामला है.इधर इस संबंध में गुरुवार (09 जनवरी) की सुबह जब अस्पताल उपाधीक्षक डॉक्टर सुरेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि महिला की मृत्यु की वजह ऑक्सीजन की कमी नहीं है क्योंकि इमरजेंसी वार्ड में दो ऑक्सीजन सिलेंडर की बंदोबस्त थी. ऑक्सीजन दे भी रहे थे. इसके अतिरिक्त दो और ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था भी अन्य वार्ड से लाकर की गई थी. उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट का कर्मी भी समय से पहुंच चुका था, लेकिन पावर की कमी से प्लांट स्टार्ट नहीं हो पाया और एक घंटे तक यह बाधित रहा. कुछ तकनीकी कमी हो गई थी.उन्होंने बताया कि प्लांट में कोरोना के समय से ही एक कर्मी है. एक और कर्मी की व्यवस्था के लिए सिविल सर्जन को लिखा गया है. उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं था कि ऑक्सीजन मिलने से महिला बच जाती क्योंकि मामला हार्ट अटैक का था. उस समय ड्यूटी में रहे चिकित्सक के द्वारा कार्डियक अरेस्ट के क्रम में दी जाने वाली सारी दवा दी गई थी. महिला को रेफर भी कर दिया गया था लेकिन परिजन नहीं ले जा सके. उन्होंने बताया कि इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि जब वह (महिला मरीज) आई तो उस समय ऑक्सीजन प्लांट से सप्लाई बंद थी.