यह वर्ष की शानदार शुरुआत करने का बेहतरीन मौका है.
शम्स आलम की इस यात्रा से भारतीय पैरा खेलों को नई ऊंचाइयां मिलेंगी और यह उनके करियर में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी. भारतीय खेल जगत ने भी उनके शानदार प्रदर्शन की आशा जताई है.शम्स आलम मधुबनी के राठोस गांव के रहने वाले है. 17 जुलाई 1986 को उनका जन्म हुआ. उनके पिता का नाम मोहम्मद नसीर है. शम्स आलम का बचपन मधुबनी में ही बीता. उन्हें बचपन से ही तैराकी का शौक था. 24 वर्ष की उम्र में शम्स आलम की रीढ की हड्डी के निचले हिस्से में ट्यूमर हो जाने की वजह से उनका पूरा जीवन बदल गया था. कई असफल सर्जरी की वजह से वे चलने-फिरने में असमर्थ हो गए.हालांकि शम्स ने पैरालिम्पिक्स में पहुंचने के सपने को नहीं छोड़ा. वर्ष 2018 में वे एशियाई पैरा गेम्स में चौथे नंबर पर रहे. पिछले वर्ष (2024) ग्वालियर में आयोजित नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में शम्स आलम ने 200 मीटर की एसएम 5 व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड जीता है. 100 मीटर बटरफ्लाई एस5 में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता था. इसके अलावा 50 मीटर फ्रीस्टाइल में कांस्य पदक जीता.