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"बिहार में का बा? नीतीश और कानून के राज बा!" – जानिए राजनीति में इस नारे के मायने


संवाद 

 बिहार की राजनीति में चुनावी मौसम आते ही नारेबाजी और सियासी तंज तेज हो जाते हैं। इस बार "बिहार में का बा?" के जवाब में "नीतीश और कानून के राज बा!" का नारा सुर्खियों में है। यह नारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार की कानून-व्यवस्था पर जोर देने के लिए दिया जा रहा है।

"बिहार में का बा?" नारे की शुरुआत कैसे हुई?

➡ पहली बार 2020 विधानसभा चुनाव में यह नारा चर्चा में आया था, जब विपक्ष ने बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली को लेकर सवाल उठाए।
➡ इसके जवाब में जेडीयू और बीजेपी समर्थकों ने "बिहार में कानून का राज है" का नारा दिया था।
➡ अब 2024 में यह नारा फिर से गूंज रहा है, लेकिन इस बार "नीतीश और कानून के राज बा!" के नए स्वरूप में।

क्या है इस नारे का राजनीतिक संदेश?

✔ जेडीयू-बीजेपी गठबंधन सरकार अपने "सुशासन" और "कानून के राज" को प्रमुख मुद्दा बना रही है।
✔ इस नारे के जरिए यह संदेश दिया जा रहा है कि बिहार में अपराध कम हुआ है और सरकार जनता के हित में काम कर रही है।
✔ विपक्षी दल इस पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन सत्ताधारी दल इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है।

नीतीश कुमार और कानून-व्यवस्था

➡ नीतीश कुमार ने 2005 में सत्ता में आने के बाद "सुशासन" पर जोर दिया।
➡ सख्त कानून लागू किए गए, जिससे अपराध दर में कमी आई।
➡ हालांकि, विपक्ष अब भी बिहार में बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार को लेकर सरकार पर निशाना साधता है।

क्या यह नारा चुनाव में असर डालेगा?

➡ अगर जनता को सच में कानून व्यवस्था मजबूत लगती है, तो यह नारा चुनाव में प्रभावी हो सकता है।
➡ विपक्ष भी इसका जवाब अपने तरीके से देने की कोशिश करेगा।
➡ आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में यह नारा और चर्चा में रहेगा।


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