बिहार के गौरव माउंटेन मैन दशरथ मांझी की विरासत को सम्मान देते हुए भारतीय सेना ने उनके बेटे को आर्थिक सहायता का चेक सौंपा। दशरथ मांझी, जिन्होंने अकेले अपने दम पर पहाड़ काटकर रास्ता बनाया, आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
भारतीय सेना का मानवीय पहल
भारतीय सेना ने गया जिले में आयोजित एक सम्मान समारोह में दशरथ मांझी के बेटे को यह सहायता राशि प्रदान की। सेना का कहना है कि दशरथ मांझी ने जिस जज़्बे और हिम्मत का परिचय दिया, वह अद्वितीय है, और उनके परिवार की मदद करना एक सम्मान की बात है।
क्या कहा दशरथ मांझी के बेटे ने?
सम्मान और आर्थिक सहायता प्राप्त करने के बाद मांझी के बेटे ने सेना का आभार व्यक्त किया और कहा कि "यह मेरे पिता के संघर्ष को एक नई पहचान देने जैसा है।" उन्होंने सरकार और समाज से भी अपील की कि वे दशरथ मांझी के योगदान को और ज्यादा महत्व दें।
दशरथ मांझी की कहानी बनी प्रेरणा
गौरतलब है कि दशरथ मांझी ने 22 साल तक लगातार एक हथौड़ा और छेनी से पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था, ताकि उनके गांव के लोगों को अस्पताल और अन्य सुविधाओं तक पहुंचने में आसानी हो। उनकी कहानी पर "मांझी: द माउंटेन मैन" नामक फिल्म भी बनी, जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
समाज और सरकार से उम्मीदें
अब दशरथ मांझी के परिवार को उम्मीद है कि सरकार उनके नाम से कोई योजना शुरू करे और उनके द्वारा बनाए गए रास्ते को और विकसित किया जाए, ताकि उनके संघर्ष को हमेशा याद रखा जाए।
भारतीय सेना की इस पहल से दशरथ मांझी के परिवार को एक नई उम्मीद मिली है और यह समाज के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है कि सच्चे नायकों को कभी भुलाया नहीं जाता।