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यूपी की होली: जब सियासत भी सराबोर हो जाती है रंगों में

संवाद 
उत्तर प्रदेश में होली का त्योहार सिर्फ रंगों और उत्साह तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह सियासत के रंग में भी पूरी तरह घुल-मिल जाता है। यहां की राजनीति में होली मेलों, गले मिलने और सार्वजनिक आयोजनों का खास महत्व होता है।

राजनीतिक होली की परंपरा

यूपी की राजनीति में होली हमेशा से खास रही है। चाहे अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं हों या मुलायम सिंह यादव और अन्य नेताओं के बीच गुलाल से सजी तस्वीरें, हर दौर में यह त्योहार नेताओं के मेल-मिलाप का मंच बनता आया है। यहां तक कि सियासी विरोधी भी इस दिन एक-दूसरे से गले मिलते हैं और साथ बैठकर ठंडाई का आनंद लेते हैं।

2024 की होली और चुनावी रंग

इस साल होली का रंग और भी गाढ़ा हो गया है, क्योंकि लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा जैसे बड़े दल अपने समर्थकों के साथ इस मौके को खास बनाने में जुटे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में भव्य होली उत्सव मनाया, जबकि अखिलेश यादव ने अपने समर्थकों के साथ सादगी से यह त्योहार मनाया।

राजनीति में होली का संदेश

यूपी में होली सिर्फ मस्ती का नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश देने का भी अवसर बनती है। नेता अपनी एकता और जनता के साथ घनिष्ठ संबंध को दिखाने के लिए इसे खास तरह से मनाते हैं। इस बार भी सियासत के रंगों ने होली को और भी खास बना दिया है।

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