बिहार की राजनीति में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव (PU Students Union Election) का खास महत्व रहा है। यह चुनाव कई बड़े नेताओं के लिए राजनीति की सीढ़ी साबित हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव भी एक बार यह चुनाव हार चुके हैं?
कब और कैसे हारे थे लालू यादव?
1970 के दशक में जब लालू यादव छात्र राजनीति में सक्रिय थे, तब उन्होंने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए दांव खेला था। लेकिन इस चुनाव में उन्हें रामजतन सिन्हा के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
रामजतन सिन्हा उस समय छात्र राजनीति के मजबूत चेहरे थे और जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े हुए थे। उनके मुकाबले में लालू यादव की स्थिति कमजोर पड़ गई और वह यह चुनाव हार गए। हालांकि, बाद में लालू यादव ने अपनी राजनीतिक रणनीति को और धार दी और 1977 में पहली बार सांसद बने।
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव क्यों है खास?
✅ बिहार की राजनीति के कई बड़े चेहरे यहीं से निकले हैं।
✅ लालू यादव, सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद, रामविलास पासवान जैसे दिग्गजों ने यहां से शुरुआत की।
✅ छात्र राजनीति का असर राज्य की मुख्यधारा की राजनीति पर भी पड़ता है।
अब क्या है स्थिति?
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव आज भी राजनीतिक दलों के लिए बड़ी परीक्षा होते हैं। हर साल विभिन्न छात्र संगठनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलता है।
क्या आगे हो सकता है?
✅ छात्र संघ चुनाव से उभरने वाले युवा नेता भविष्य में राज्य की राजनीति में बड़ा रोल निभा सकते हैं।
✅ राजनीतिक दलों की दिलचस्पी इस चुनाव को और हाई-वोल्टेज बना सकती है।
आपकी राय?
क्या बिहार की राजनीति में छात्र संघ चुनाव अब भी पहले की तरह प्रभावी हैं? अपनी राय कमेंट में दें!