अपराध के खबरें

बच्चों का संसार अनोखा,हर पल रहते प्यार का भूखा

 प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स"

बच्चों का संसार अनोखा,
हर पल रहते प्यार का भूखा,
पल में हँसना, पल में रोना, 
मम्मी-पापा के नयनों का सोना,
बात-बात मे खेल-खिलौना,
जादू-ट़ोना श्याम सलोना,
अद्भुत-अनुपम यह प्यार अनोखा,
टाफी-बिस्किट का प्रेम अनोखा,
फूल सा कोमल निर्मल कल-कल,
 बच्चों का संसार अनोखा,
हर.पल रहते प्यार का भूखा,
संभलोगे नहीं तो गिरते जाओगे,
ताश-पत्तों कि तरह बिखरते जाआगे,
कोरोना के डर से कोई रोना नहीं,
वरना् रोते-रोते मरते जाआगे,
परदेशी मजदूरों के हालात ठीक नहीं,
कब-तक मदद को आगे आओगे,
 शहरों मे खटाल की सिसकियाँ सुन लो,
कब-तलक चारा भुखे गायों को भिजवाओगे,
कब तक लाठी-गोली की सियासत करवाओगे,
"वत्स"कब तक घोषणाअमलीजामा पहनाओगे..???
        समस्तीपुर कार्यालय से प्रवीण प्रसाद सिंह की कविता राजेश कुमार वर्मा द्वारा सम्प्रेषित । Published by Rajesh kumar verma

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