प्रशांत किशोर ने बोला कि नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री बनने की जिक्र मुझे कहीं नहीं सुनाई दे रही है.
उनकी विश्वसनीयता आज की तिथि में ऐसी हो चुकी है कि उनका पीएम बनना तो दूर उनके बिहार का सीएम बने रहने पर भी संकट है.चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपने वर्णन में आगे बोला कि तेजस्वी यादव ने यह बात बोली थी कि वह जब सरकार में आएंगे तो पहली कलम से दस लाख नौकरी युवाओं को देंगे. पिछले 3 महीने से ज्यादा वक्त से वह कैबिनेट में हैं. कैबिनेट के फैसले में कई बार इन्होंने सिग्नेचर भी किया होगा. मैं यह सोच रहा हूं कि जो 10 लाख वाला निर्णय था उसका क्या हुआ? कलम टूट गई या स्याही सूख गई, ये तो नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ही बताएंगे. ये झूठे वादे करना, लोगों को भ्रम में डालकर मतदान लेना इनकी पुरानी फितरत है.पीके ने बोला कि नीतीश कुमार ने अपने वर्णन में भी यह स्वीकार कर लिया है कि उनके चेहरे पर और तीर छाप के बटन पर अब कोई जीतने वाला नहीं है. ये दल तो बचेगा ही नहीं क्योंकि नीतीश कुमार ने खुद ही मान लिया है कि उनके चेहरे पर मतदान नहीं मिलेगा. तेजस्वी यादव को जिम्मेवारी दें कि उनमें कितनी प्रतिभा और क्षमता है.