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'नीतीश कुमार की ये हालत आनंद मोहन की रिहाई से नहीं हुई है', प्रशांत किशोर ने ऐसा क्यों बोला? जानिए


संवाद 

जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने शनिवार को आनंद मोहन पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने बोला कि एक बात ये स्पष्ट हो रही है कि नीतीश कुमार जाति की सियासत करते हैं, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जो दलितों और पिछड़ों की सियासत करने का दावा करते हैं, वो उस समाज के सामने बिल्कुल नंगे हो गए हैं. नीतीश कुमार ने राजनेता और प्रशासक के तौर पर संपूर्ण रूप से सरेंडर कर दिया है. नीतीश कुमार की ये स्थिति हो गई है कि मैं मुख्यमंत्री बना रहूं बाकी बिहार में जिसको जो करना है वो कर सकता है. नीतीश कुमार की ये स्थिति आनंद मोहन की रिहाई से नहीं हुई है,

 बता दे कि उससे पहले जब महागठबंधन की सरकार बनी थी उस वक्त से नीतीश कुमार इस तरह के निर्णय ले रहे हैं.

 प्रशांत किशोर ने बोला कि नीतीश कुमार को जब वोट का लाभ दिखता है तब आप गरीब, पिछड़ा और दलित सब को भूल जाते हैं. ये जो दलितों की राजनीति है वो सिर्फ अपने लाभ तक है और ये अपने परिवार और वोट तक ही सीमित रह जाती है. बात व्यक्ति विशेष आनंद मोहन की नहीं है. बिहार की जनता देखेगी कि आगे ये और बढ़ेगा और भी लोग इस तरीके के चीजों का डिमांड करेंगे. आगे चुनावी रणनीतिकार ने बोला कि महागठबंधन के मंत्रिमंडल में 4 ऐसे मंत्री हैं जिनका नाम आरजेडी की ओर से 2015 में भी प्रस्तावित किया गया था, लेकिन उनकी दागदार छवि को देखते हुए मंत्रिमंडल में उन्हें सम्मिलित नहीं किया गया था. वहीं, 4 लोग आज मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार के अगल-बगल में बैठे हुए हैं.

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