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BJP से 'दोस्ती' वाली बात का मतलब कुछ और था? सीएम नीतीश ने अब समझाई पूरी बात, सुशील कुमार मोदी का भी लिया नाम


संवाद 


मोतिहारी में आयोजित दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कुछ ऐसी बात बोली थी कि उसका मतलब बीजेपी से दोस्ती को जोड़कर देखा जाने लगा था. शनिवार (21 अक्टूबर) को इस पर मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार मीडिया पर गुस्सा उठे. बोला कि मोतिहारी में जो उन्होंने बोला उसका गलत मतलब निकाल लिया गया है. मोतिहारी में विश्वविद्यालय बनाने की जिक्र थी. मोतिहारी में विश्वविद्यालय बनाने को लेकर हमने दबाव बनाया. मेरे बोलने का मतलब बीजेपी के साथ का बिल्कुल नहीं था. मेरे बोलने का मतलब था कि जो कार्य हुआ है उसे याद रखिए.सीएम नीतीश कुमार ने बोला कि वहां तो सभी दलों के नेता उपस्थित थे लेकिन मीडिया ने जो लिखा और दिखाया है उससे मुझे दुख हुआ है. उन्होंने बोला कि अगर ऐसे ही गलत छापा जाएगा और दिखाया जाएगा तो आज आखिरी दिन है. 

ऐसा बयान छपेगा तो बोलना बंद कर दूंगा.

दरअसल, नीतीश कुमार शनिवार की सुबह बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री बाबू की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित करने मुख्य सचिवालय आए थे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बीजेपी से दोस्ती वाली बात के साथ-साथ सुशील मोदी के बयान पर भी खूब जमकर भड़ास निकाली. बोला कि सुशील मोदी कहां और क्या थे उनको याद नहीं रहता है क्या? जब विश्वविद्यालय में थे तो छात्र नेता के चुनाव मैंने कई वोट उनको दिलवाए थे. विपक्ष चाहे जितना अटैक करे मुझे कोई उससे मतलब नहीं है. मैं अपना कार्य करता रहता हूं.आगे नीतीश कुमार ने बोला कि पहले मैं सचिवालय में दिन भर रहता था. जब लगा कि अधिकारी वक्त से नहीं रहते हैं तो मैं पहुंचने लगा. अब मंत्री से लेकर अधिकारी सब वक्त से आते हैं. नीतीश कुमार ने मोतिहारी के बयान को सीधा पलटते हुए बोला कि मेरा कहीं किसी से संबंध नहीं है. मैं सिर्फ अपना कार्य करता रहता हूं. 5 राज्यों में चुनाव पर नीतीश कुमार ने बोला कि चुनाव में जनता मालिक है देखा जाए क्या होता है.

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