नए कानून से पहले से दर्ज सभी केसों की जांच और कोर्ट में सुनवाई पुराने कानूनों के अनुकूल होगी.
आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा. नाबालिग से रेप के दोषी को फांसी या उम्रकैद सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी को 20 वर्ष की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा होगी. मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा है.सड़क दुर्घटना करने वाला चालक अगर पीड़ित को अस्पताल या पुलिस स्टेशन ले जाता है तो उसकी सजा कम होगी. सिर पर लाठी मारने वाले पर अभी सामान्य झगड़े की धारा लगती है, लेकिन अब घायल के ब्रेन डेड पर आरोपी को 10 वर्ष की सजा मिलेगी. किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को खबर देनी होगी. एफआईआर से लेकर कोर्ट के फैसले तक कि पूरी प्रक्रिया अब ऑनलाइन होगी. सात वर्ष से अधिक सजा वाले मामले में फॉरेंसिक जांच अनिवार्य रहेगा.