प्रधानमंत्री जी स्वयं उनको सुनना चाहते थे वित्त मंत्री खुद वहां पर उपस्थित थी.
वह भी चाहती थीं कि वो क्या बजट को लेकर अपनी बातों को रख रही हैं, लेकिन जिस तरीके से उनका आचरण था, इससे ऐसा लगता है कि विपक्ष पहले से ही यह सोच समझ कर आए थे. रणनीति का भाग था कि वह जाएंगे बवाल खड़े करेंगे.उन्होंने ये भी बोला कि पिछले 10 वर्षों में देश की मजबूत होती अर्थव्यवस्था का लाभ जनता को पहुंचाने का काम किया गया है. इसमें देश के गरीबों का जिक्र किया गया है. अन्नदाताओं, नारी शक्ति का जिक्र किया गया है. युवा शक्ति का इसमें जिक्र किया गया. यह ऐसे सेक्टर हैं, जिसमें प्रमुखता से उनका लाभ पहुंचाने की योजनाओं की राशि की घोषणा की गई. जो राज्य कहते हैं कि उनके साथ अनदेखी हुई है क्या उनके राज्य में गरीब नहीं के उनके राज्य में महिलाएं नहीं है क्या उनके राज्य में किसान नहीं हैं. सिर्फ राजनीतिक हंगामा करने के लिए यह पिछला बजट निकाल कर दिखाएं की किस-किस राज्य को कितना कितना आवंटन किया गया है.जब सरकार कांग्रेस की थी या यूपीए के नेतृत्व में थी कितने राज्यों का जिक्र किया गया. मुझे ताजुब आरजेडी कांग्रेस पर होता है क्या आरजेडी को खुशी नहीं होनी चाहिए कि बिहार को एक बड़ी राशि आवंटित की गई है. चाहे बाढ़ के मामले में हो, चाहे विकास के मामले में, हो जब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलता है तब तक विशेष बिहार को पैकेज मिलना चाहिए. मैं धन्यवाद करता हूं प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का कि उन्होंने बिहार के लिए इतना दिया जो बिहार और बिहारी की मांग है, उस मांग को सुना गया है. कांग्रेस को ऐतराज है तो वह लोग बिहार का विकास नहीं चाहते.
तेजस्वी यादव द्वारा मानसून सत्र में सम्मिलित नहीं होने पर बोला कि अपनी जिम्मेदारियों का सबको एहसास होना चाहिए महत्वपूर्ण सत्र है और हर सत्र महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में विपक्ष के नेता की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है आपको कोई साधारण विधायक नहीं हैं. आप एक संवैधानिक पद पर हैं और आपके पद की गंभीरता बढ़ती है, जब आप विपक्ष के नेता के भूमिका में होते हैं. ऐसे में उसको गंभीरता से लेना अनिवार्य है. मुझे नहीं पता कि वह क्यों विधानसभा से गायब थे, पर वजह से जो भी हो इसको महत्व देना चाहिए.