इस क्रम में कई रैंडम नंबर मिले हैं.
उधर ठगी का तरीका जान हर कोई हैरान है. साइबर डीएसपी ने बताया कि कॉल सेंटर के माध्यम से ये लोग ग्राहकों को पैसा ट्रांसफर, लोन फैसिलिटी, लोन इंश्योरेंस सहित कई सुविधाओं के बारे में बताकर अपना ऐप इंस्टॉल करवाते थे. इसके बदले में वो पेमेंट आईडी देते थे. पेमेंट आईडी के माध्यम से ग्राहकों का पैसा कंपनी के अकाउंट में आता था. इसके बाद ग्राहकों को दी जाने वाली सुविधाएं बंद कर दी जाती थीं. इस तरह की करीब 37 शिकायतें साइबर पोर्टल पर दर्ज पूर्व में कराई जा चुकी हैं.इस मामले में कंपनी के सीईओ निशांत कुमार और मोहित कुमार एवं मैनेजर शिष्या वर्धन सहित कुल 36 युवक-युवतियों को एक साथ गिरफ्तार किया गया. इनको कहा है कि ये लोग पिछले तीन वर्षों से साइबर फ्रॉड का कार्य कर रहे थे. करोड़ों रुपये की ठगी का खुलासा भी हुआ है. मौके से तीन लैपटॉप, 33 मोबाइल और 33 सिम कार्ड को बरामद किया गया है.वहीं गिरफ्तारी के बाद उनके परिजनों की भीड़ लग गई. वे लोग इसका विरोध करने लगे. उन्हें हटाने के लिए और विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को बल उपयोग करना पड़ा. मामूली लाठीचार्ज भी करना पड़ा.