उन्होंने उस दिन इतना जरूर बोला था कि ठंड ज्यादा लग रही है.
कारण क्या था वह जांच के बाद ही पता चलता, लेकिन उन्होंने जांच कराई नहीं. हम लोग जबरदस्ती चेकअप नहीं कर सकते हैं. इसकी रिपोर्ट हमने जिला प्रशासन को दी थी.बता दें कि गिरफ्तारी के बाद प्रशांत किशोर को पुलिस पहले एम्स लेकर गई थी. प्रशांत किशोर जब जमानत के बाद आए तो उन्होंने मीडिया से बोला था कि उन्हें एम्स के डॉक्टरों ने इसलिए भर्ती नहीं किया क्योंकि पुलिस के पास कागज नहीं था. पुलिस एम्स से निकालकर ले गई और पांच घंटे एंबुलेंस में घुमाती रही. कोई तैयार नहीं हुआ कि फर्जी तरीके से कागज बनाए. फतुहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों को उन्होंने सलाम करते हुए यह बोला था कि पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्होंने (फतुहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया.
उधर पटना जिला प्रशासन की तरफ से भी इस मसले पर बयान जारी किया गया है. बोला गया है कि फतुहा स्वास्थ्य केंद्र पर प्रशांत किशोर की असहमति को रिकॉर्ड किया गया था. डॉक्टर पर फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट देने या गलत जांच प्रतिवेदन देने के लिए दबाव बनाने का सवाल ही नहीं है क्योंकि कोर्ट में पेशी के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं होती है. मात्र स्वास्थ्य जांच रिपोर्ट की आवश्यकता होती है जिसमें दोषी स्वस्थ भी हो सकता है अथवा अस्वस्थ भी हो सकता है.